पाठ 3 जय जवान! जय किसान!
बच्चों !क्या आपने कभी इस नारे को सुना या पड़ा है? यह नारा हमें श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने दिया जो भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थेl लाल बहादुर शास्त्री जी का मानना था कि भारतीय जवान अपनी जान हथेली पर रखकर सीमा पर देश की रक्षा करते हैं lइसी तरह देश के किसान अपने परीक्षण से धरती को सी जो सीच कर अन्य उगाते हैं , वे हमारे अन्नदाता हैl अंत:देश के विकास में दोनों का योगदान सबसे अधिक है l उन्हें सम्मान देने के लिए ही उन्होंने जय जवान !जय किसान! का नारा दिया|
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 ई. को बनारस के कस्बे मुगलसराय के एक साधारण परिवार में हुआ |उनकी माता का नाम राम दुलारी था और पिता शारदा प्रसाद जी एक अध्यापक थे | बचपन में ही उनके पिता स्वर्ग सिधार गए| उन पर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा| किंतु उनकी इच्छा शकित इतनी प्रबल थी की विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी| वह बचपन से ही साहसी, निडर, पक्के इरादे वाले और विनम स्वभाव के थे| उन्होंने प्रधानमंत्री के पद पर पहुंच कर वह सिद्ध कर दिया कि वह गुदड़ी के लाल थे
उनका स्कूल गंगा पार था| नाविक गंगा पार ले जाने का एक पैसा किराया लेता था आर्थिक तंगी के कारण वह गंगा नदी को अक्सर तर कर ही पार किया करते थे| एक बार वह मेला देखने गंगा पार गए| अपने सहपाठियों संग वापिस आते हुए वे जानबूझकर पीछे रह गए क्योंकि गंगा पार करने का किराया देने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे| वे अपनी प्रबल इच्छा शक्ति के बल पर उस गंगा नदी को पार कर गए जिसका पाट लगभग आधा मील तोड़ा था| हालांकि उनके मित्र उनका किराया देने का आगह भी करते रहे परंतु वह विनम्रता से मना कर देते | उन्होंने किसी भी साथी से उधार मांगना अपने गौरव के विरुद्ध समझा| बचपन के ऐसे संस्कार ही बड़े होते होते उनके जीवन के सिद्धांत बन गए |जीवनभर वे अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे|
70 वर्ष की आयु पहुंचते-पहुंचते वे देशभकित के रंग में रंग चुके थे| सन 1921 में चौथ का असहयोग आंदोलन हुआ तो देश की दिल की पुकार ने उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर दिया | उन दिनों देश की खातिर उन्हें जेल भी जाना पड़ा | निंज हित का बलिदान कर देश हित के लिए हमेशा तैयार रखना शास्त्री जी के जीवन का एकमात्र उद्देश्य रहा| जेल से आने के बाद मौका मिलने पर इन्होंने शास्त्री की पढ़ाई पूरी की| तभी से उनके नाम के साथ शास्त्री जुड़ गया
देश सेवा के लिए अपने परिवार का बलिदान देने वाले वह निराले देशभक्त थे| एक बार नैनी कारावास के दौरान इन्हें अपनी पुत्री के सख्त बीमार होने का समाचार मिला तो उनकी पत्नी व मित्रों ने जेल से पैरोल पर रिहा होकर पुत्री की देखभाल करने की गुहार लगाई| परंतु उस समय अंग्रेजी सरकार किसी भी राजनैतिक आंदोलन में भाग न लेने की लिखित शर्त पर ही छोड़ने को तैयार थी| सिद्धांतों के मतवाले को यह मंजूर न था|
बेटी की तबीयत निरंतर बिगड़ने लगी परंतु शास्त्री जी देश हित के विरुद्ध कोई फैसला नहीं लेना चाहते थे और न ही लिया| फिर सरकार ने ही बिना शर्त उन्हें 15 दिन के लिए रिहा कर दिया| जब शास्त्री जी बेटी के पास पहुंचे तब तक उसकी जीवनलीला समाप्त हो चुकी थी| ऐसे में शास्त्री जी दुखी जरूर हुए परंतु आजादी के दीवाने के इरादे बिल्कुल भी न डगमगाए|
उसी प्रकार एक जेल यात्रा में उन्हें पुत्र को टाइफाइड होने का संदेश मिला| फिर वही विकट समस्या !अपने सिद्धांतों तो उन्होंने कभी किया ही नहीं था| इस बार भी ब्रिटिश सरकार ने उन्हें बिना लिखित शर्त के एक सप्ताह के लिए रिहा किया| तब तक बहुत देर हो चुकी थी बुखार 104 डिग्री से 106 डिग्री तक पहुंच गया | बेटे के होंठ भी सूज गए |जेल की रिहाई का एक सप्ताह भी बीत गया |पुत्र ने क्या कहा भी बाबू जी अभी मत जॉय| कितनी विकट घड़ी थी एक तरफ जिगर का टुकड़ा मौत से जूझ रहा था और दूसरी तरफ भारत माता की आजादी की पुकार| सिद्धांतों पर अटल शास्त्री जी ने भरे मन से बेटे से हाथ जोड़कर विदा ली और मातृभूमि की रक्षा के लिए जेल की तरफ चल पड़े| धन्य थे ऐसे वीर जिन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता करना आतमघातक समझा|
वह दृढ़ निश्चय और सिद्धांतवादी वीर नायक भारतवासियों को 11 जनवरी 1966 ई: को छोड़कर चिरनिंद्रा में सो गया| समस्त भारतीयों ने उन्हें आंसू भरी आंखों से भावभीनी विदाई दी |उनका आदर्श जीवन आने वाली पीडीयो के लिए प्रेरणास्रोत है |उनका नाम भारतीय इतिहास में सदैव अमर रहेगा|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दें:-
( क) 'जय जवान !जय किसान! 'का नारा किसने दिया?
1.
' जय जवान! जय किसान!' का नारा लाल बहादुर शास्त्री जी ने दिया जो भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थेl
(ख) लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म कब और कहां हुआ?
2. लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1940 ई.
को बनारस के कस्बे मुगलसराय में एक साधारण परिवार में हुआl
(ग) जेल से आने के बाद लाल बहादुर जी ने कौन -सी पढ़ाई पूरी की?
3. जेल से आने के बाद मौका मिलने पर इन्होंने 'शास्त्री' की पढ़ाई पूरी कीl
(घ) पुत्री के बीमार होने पर उन्हें कितने दिन के लिए रिहा किया गया?
4. पुत्री के बीमार होने पर उन्हें 15 दिन
के लिए क्या किया गयाl
(ड़) शास्त्री जी का देहांत कब हुआ?
5. शास्त्री जी का देहांत 11 जनवरी
1960 ई को हुआ थाl
(च) शास्त्री जी ने अपने सिद्धांतों से समझौता करने को क्या समझते थे?
6. शास्त्री जी अपने सिद्धांतों से समझौता करने को आत्मघातक समझते थेl
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार वाक्यों में लिखें:-
( क) शास्त्री जी अपने मित्रों से उधार क्यों नहीं मांगना चाहते थे?
1. शास्त्री जी अपने मित्रों से उधार इसलिए नहीं मांगना चाहते थे क्योंकि वह उधार को गौरव के विरुद्ध समझते थेl
( ख) लाल बहादुर शास्त्री जी ने लिखित शर्त पर जेल से छूटने से क्यों इंकार किया?
2. लाल बहादुर शास्त्री जी ने लिखित शर्त पर जेल से छूटने से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि वह सिद्धांतों के मतवाले थेl उन्हें यह मंजूर नहीं थाl
(ग) मौत से जूझते पुत्र को छोड़-कर शास्त्री जी वापिस जेल क्यों चले गए?
3. मौत से जूझते पुत्र को छोड़कर शास्त्री जी वापस जेल इसलिए चले गए क्योंकि वह अपने सिद्धांतों पर अटल थे और मातृभूमि की रक्षा के लिए वह जेल में वापस चले गएl
( घ) लाल बहादुर शास्त्री में कौन से ऐसे गुण थे जिससे उच्…
4. लाल बहादुर शास्त्री जी ने
निडर,
साहसी, पक्के इरादे वाले और विनम्र स्वभाव
के गुण थे जिससे वे उच्च पद को प्राप्त कर सकेl
लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है
( ड.) लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें भारत माता के लिए जान हथेली पर रखकर उसकी रक्षा करनी चाहिए जिस तरह के भारतीय सेना करती है.इसी तरह देश के किसान अपने परीक्षण से धरती को सीच कर अनन उगाते हैं वह हमारे अन्नदाता है. उन्होंने देश के विकास के लिए भारतीय सेना और किसान दोनों का योगदान है इसीलिए उन्होंने जय जवान! जय किसान! का नारा दिया.