Friday, 18 December 2020

पाठ 8 प्रायश्चित

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पाठप्रायश्चित















होली का दिन थाl बच्चों ने इधर उधर से एकत्र की गई थोड़ी बहुत लकड़ियां गांव के शिवालय के करीब खुले मैदान में शाम हो जाने पर होली में जलाईlआग की लपटें अधिक ऊंची नहीं उठा रही थीl बच्चों के चेहरे पर इस  लिए उत्साह नजर नहीं रहा थागोपू ग्वाले की कुटिया के पिछवाड़े गोबर के उपलों का ढेर लगा हुआ थाl गोपू घर पर नहीं थाlवह  उपले बेचने पास के शहर गया हुआ था और अभी तक लौट थाशरारती बुधवा को गोपी के उपले साहस  याद हो  गएl आज दोपहर पाठशाला से घर लौटते हुए भी उसने ग्वाले की कुटिया के   पिछवाड़े उपलो के  ऊंचे ऊंचे  ढेर देखे थेlउसने अपने मन की बात मित्रों से कह तो सभी कहीं तो सभी सहमत हो गएगोपू की कुटिया के पिछवाड़े पहुंचते बाल- मंडली को देर ना लगीl कुछ लड़के उपले बटोरने लगे तो कुछ उन एकत्र किए गए उपलो को शिवाले के करीब जल रही होली की आग को समर्पित करने में तल्लीन हो गएl तेजी से  जलते  उपलो को देख सब खुशी से नाचने गाने लगेl




गोपू थका हुआ  शहर से लौटा तो खा पीकर कुटिया के भीतर सो गयाl दूसरे दिन रंग पंचमी थीl सोकर उठते ही दे मन ही मन बोलाकाश! आज ज्यादा उपले अगर  बिक जाए तो अच्छे पैसे हाथ जाएंगे और पास के गांव जाकर वह भी अपने सगे संबंधियों के संग होली मना आएगाl वह नहा धोकर और चाय पी कर खाली टोकरी हाथ में लिए उपले बटोरने पिछवाड़े आया तो मैदान साफ नजर आयाl वह बोला, हाय! मैंने किस का क्या बिगाड़ा था जो इतनी मेहनत से बनाए गए मेरे ढेर सारे उपल  यू गायब कर दिए गए! वह सीधे गांव के मुखिया जी के घर पहुंचा और  नैनो से गंगा जमुना बहाते हुए अपनी आप बीती सुनाने लगाl मुखिया जी बोले,' तुम चिंता ना करो तुम्हें जरूर न्याय मिलेगाl गोपू के घर से जाने के बाद उन्होंने दिमाग दौड़ाया और मन ही मन बोले, यह सारी करतूत जरूर गांव के इन शरारती बच्चों की ही हैl' वे बारी-बारी से सब के घर पहुंचे और बच्चों को अभिभावकों से बोले गरीब ग्वाले के परीक्षण से बनाएंगे होली बनाएंगे उपले होनहार बच्चे होली की आग में झोंक आए हैंl किसी के आंसुओं से हाथ भिगोकर होली नहीं मनाना चाहतेl आज दोपहर तक सभी बच्चे मिलकर उपले तैयार कर  गोपू ग्वाले को दे आएl उसके पश्चात ही शाम होने से पहले जे होली खेल सकेंगेl उपले तैयार किए बगैर दोपहर से पूर्व कोई भी बालक होली खेलता नजर आएगा तो अभिभावक को प्रति बच्चे पर  सौ सौ रुपए जुर्माना देना पड़ेगाl

मुखिया जी की आज्ञा को शिरोधार्य करते हुए सभी शरारती बच्चों ने गाय भैंसो का  गोबर इधर-उधर भटकते हुए कट्ठा किया और शब्द रूप में खुली जगह पर उपले तैयार करने में जुट गएl खेल ही खेल में जो  उपले होली में जला डाले थेl उन उपलों को बनाने में कितना पसीना बहाना पड़ता है यह उन्हें ज्ञात हो गया थाl दोपहर होते-होते ढेर सारे उपले तैयार हो गएl मुखिया जी  गोपू गवाले की कुटिया पर पहुंचकर बोले,' गोपू भैया- बच्चों ने प्रायश्चित कर लिया हैl तुम्हारे उपले इन सब ने पुन: तैयार कर दिए हैंl वैर भाव को  भुला दो, चलो, इस बाल मंडली के संग हम भी होली खेलेंगे' कहते हुए मुखिया जी ने दुपट्टे में छुपाई हुई  अबीर की पोटली निकाल बच्चों को थमा दीl गुलाल के बादल उड़ चलेl मुखिया जी का इतना सुंदर न्याय देखकर गोपू का चेहरा खिल उठा

 

3 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक ध्यान दो वाक्यों में दें:-

 

() बच्चों ने किस त्यौहार के अवसर पर लकड़ियां   जलाई?

उत्तर:- बच्चों ने होली के त्योहार अवसर पर लकड़ियां जलाई

 

( )  बच्चों ने होली कहां मनाई?

उत्तर:- बच्चों ने होली खुले मैदान में मनाई

 

() गोपू कैसे गुजारा करता था?

उत्तर:- गोपू गुब्बारे के उपलो को बेचकर गुजारा करता था

 

() शरारती लड़कों ने किसके घर से उपले चुराए?

शरारती लड़कियों ने गोपू के घर से उपले चुराए

 

( ड़) मुखिया ने शरारती बच्चों को क्या सजा दी?

उत्तर:- मुखिया ने शरारती बच्चा को खुद उपले बनाने की सजा दी

 

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार वाक्यों में दें:-

 

() क्या आप मुखिया द्वारा बच्चों को दी गई सजा से सहमत है? क्यों?

उत्तर:- मुखिया द्वारा बच्चों को उपले बनाने की सजा से हम पूरी तरह सहमत हैं क्योंकि कोई तोहार या पर्व मनाने  के लिए किसी को दुखी नहीं करना चाहिएl यहां तक कि  अगर कोई भी अच्छा कार्य करें किसी का दिल नहीं  दुखी करना चाहिएl

 

()  गोपू का चेहरा  प्रसन्नता से क्यों खिल उठा?

उत्तर:-बच्चों द्वारा उसके उपले चुरा लिए जाने पर गोपू का मन उदास हो गया थाl उसने इसकी शिकायत गांव के मुखिया जी से कीl मुखिया ने उसे न्याय दिलाते हुए सभी बच्चों को उपले बना कर देने के बाद ही होली मनाने की बात कही तो यह बात सुनकर गोपू का मान प्रसन्नता से खिल गया